इंटरनेट कनेक्टिविटी आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शासन के लिए आधारशिला बन गई है

भारतनेट: डिजिटल विभाजन को पाटना सुदूर गांवों से स्मार्ट समुदायों तक भारतनेट का परिचय तेजी से डिजिटल नवाचार से प्रेरित दुनिया में, इंटरनेट कनेक्टिविटी आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शासन के लिए आधारशिला बन गई है। डिजिटल विभाजन विशेष रूप से ग्रामीण भारत में महत्वपूर्ण चुनौती थी, और इससे निपटने के लिए, भारत सरकार […]

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रबी 2023-24 में 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की गई, 2.75 लाख किसानों को लाभ

पीएम-आशा से किसानों को सशक्त बनाना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय बढ़ाने में मदद के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए बनाई सरकार की एमएसपी नीति का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है, ताकि खेती में अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिले […]

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अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान समग्र निर्यात 536.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान

अप्रैल-नवंबर 2023 में यह 498.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जो 7.61% की अनुमानित वृद्धि दर्शाता है नई दिल्ली। नवंबर 2024* के लिए भारत का कुल निर्यात (वस्तुएं और सेवाएं संयुक्त) 67.79 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो नवंबर 2023 की तुलना में 9.59 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। नवंबर 2024* के […]

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक: एक उभरती हुई शक्ति जीएनपीए घटकर 3.12% पर आया भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹1.41 लाख करोड़ का अपना अब तक का सबसे अधिक कुल शुद्ध लाभ अर्जित करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि इस क्षेत्र में मजबूत बदलाव को […]

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भारत की एफडीआई यात्रा 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में 26% की वृद्धि के साथ 42.1 बिलियन डॉलर हो गई भारत ने अपनी आर्थिक यात्रा में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर हासिल किया है, अप्रैल 2000 के बाद से सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) इनफ्लो $1 ट्रिलियन तक पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को पहली छमाही के दौरान एफडीआई मौजूदा वित्त वर्ष में लगभग 26% की बढ़ोतरी के साथ $42.1 बिलियन तक पहुंचने से बल मिला है। इस तरह की वृद्धि एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती अपील को दर्शाती है, जो एक सक्रिय नीति ढांचे, एक गतिशील कारोबारी माहौल और बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता से प्रेरित है। एफडीआई ने पर्याप्त गैर-ऋण वित्तीय संसाधन प्रदान करके, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करके भारत के विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। “मेक इन इंडिया”, उदार क्षेत्रीय नीतियों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी पहलों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जबकि प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशन को आकर्षित करना जारी रखते हैं।   बीते दशक (अप्रैल 2014 से सितंबर 2024) में, कुल एफडीआई इनफ्लो $709.84 बिलियन था, जो पिछले 24 वर्षों में कुल एफडीआई इनफ्लो का 68.69% था। निवेश का यह मजबूत इनफ्लो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।   परिवर्तन लाने वाले कारक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय कई कारकों को दिया जा सकता है:   प्रतिस्पर्धा और नवाचार: विश्व प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक 2024 में भारत की रैंकिंग 2021 में 43वें से तीन पायदान ऊपर चढ़कर 40वें स्थान पर पहुंच गई। इसके अतिरिक्त, भारत को शीर्ष 50 देशों में 48वें सबसे नवीन देश के रूप में नामित किया गया, जिसने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023 में 81वां स्थान हासिल किया, जो 2015 में अपने स्थान से एक महत्वपूर्ण सुधार दर्शाता है। ये रैंकिंग अपने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बेहतर करने में देश की प्रगति को उजागर करती है। वैश्विक निवेश स्थिति: ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 1,008 ग्रीनफील्ड परियोजना घोषणाओं के साथ भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं का तीसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था। भारत में अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्तीय सौदों की संख्या में भी 64% की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बन गया। अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों की संख्या के ये आंकड़े वैश्विक निवेश मंच पर भारत की बढ़ती प्रमुखता को रेखांकित करते हैं। सुधरता कारोबारी माहौल: भारत ने अपने कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में उल्लेखनीय प्रगति की, विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) 2014 में 142वें से बढ़कर 2020 में 63वें स्थान पर पहुंच गया, जो इसके बंद होने से पहले अक्टूबर 2019 में प्रकाशित हुआ था। पांच वर्षों में 79-रैंक की ये छलांग नियमों को सरल बनाने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने, निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को दर्शाती है।     नीतियों में सुधार: एफडीआई को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार ने एक निवेशक अनुकूल नीति बनाई है, जिसमें कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100% एफडीआई के लिए खुले हैं। इसके साथ ही, स्टार्टअप और विदेशी निवेशकों के लिए कर अनुपालन को सरल बनाने के लिए, एंजेल टैक्स को खत्म करने और विदेशी कंपनी की आय पर लगने वाली आयकर दर को कम करने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 को 2024 में संशोधन किया गया है।   अन्य उल्लेखनीय घटनाक्रम   निष्कर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में भारत की उल्लेखनीय प्रगति, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान $42.1 बिलियन के इनफ्लो और अप्रैल 2000 के बाद से संचयी $1 ट्रिलियन के इनफ्लो से स्पष्ट है। बेहतर वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता, एक गतिशील नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और एक व्यापार-अनुकूल वातावरण जैसे कारक प्रमुख चालक रहे हैं। “मेक इन इंडिया”, क्षेत्रीय नीतियों का उदारीकरण और अंतरिक्ष क्षेत्र में अधिक एफडीआई सहित हाल के नीतिगत बदलाव जैसी पहल, देश के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। जैसे-जैसे भारत वैश्विक आर्थिक रुझानों के साथ जुड़ रहा है, यह वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत करने, सतत वृद्धि और विकास को प्रोत्साहन देने के लिए अच्छी स्थिति में है।  

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वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा में भारत की बढ़ती भूमिका

वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में भारत की यात्रा इसके निर्यात परिदृश्य में उल्लेखनीय उपलब्धियों से चिह्नित है। भारत ने पेट्रोलियम तेलों और कृषि रसायनों से लेकर सेमीकंडक्टर्स और कीमती पत्थरों तक विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह वृद्धि वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, नवीन प्रथाओं और प्रतिस्पर्धी […]

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ईवीएम पर कब तक हायतौबा मचाएगा विपक्ष

रुद्रशिव  मिश्र  चुनाव दर चुनाव विपक्ष का ईवीएम के प्रति रवैया सोचनीय होता जा रहा है। खासतौर से तब जब उसकी भी कई राज्यों में सरकारें ईवीएम की बदौलत ही बनी हैं। यह रवैया कहां तक उचित है कि जब आपकी जीत हो जाए तो ईवीएम अच्छी है और जब आप हार जाएं तो उसको […]

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सहकारिता का इतिहास 

अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) एक वैश्विक संगठन है जो दुनिया भर में सहकारी समितियों को एकजुट करता है, उनका प्रतिनिधित्व करता है और उनकी सेवा करता है 1895 में लंदन, इंग्लैंड में प्रथम सहकारी कांग्रेस के दौरान स्थापित यह सबसे पुराने और सबसे बड़े गैर-सरकारी संगठनों में से एक है, जो वैश्विक स्तर पर 1 […]

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