प्रचंड गर्मी में गहराता सतना के पूनम भवन एरिया का पेय जल संकट, लोगों में रोष
28 जुलाई 2010 को, संकल्प 64/292 के माध्यम से , संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पष्ट रूप से जल और स्वच्छता के मानव अधिकार को मान्यता दी और स्वीकार किया कि स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सभी मानव अधिकारों की प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं। संकल्प राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से वित्तीय संसाधन प्रदान करने, क्षमता निर्माण में मदद करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में मदद करने का आह्वान करता है ताकि देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों को सभी के लिए सुरक्षित, स्वच्छ, सुलभ और किफायती पेयजल और स्वच्छता प्रदान करने में मदद मिल सके|
संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस आह्वान के बाद भी प्रचंड गर्मी में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। सतना के धवारी वार्ड के पूनम भवन एरिया में लोगों को पेयजल शुल्क अदा करने के बाद भी गहरे जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहां अनियमित जल आपूर्ति बहुत गहरा संकट हैं। एरिया के लोगों को जल आपूर्ति के लिए सरकारी हैंडपंप का सहारा लेना पड़ रहा है। इस क्षेत्र के लोग ज्यादातर माकन रेंट पर लेकर रहते हैं। इनसे पर मंथ के हिसाब से विद्युत् आपूर्ति शुल्क लिया जाता है। ये लोग रोज कमाओ रोज खाओ नीति पर जीवन बसर के लिए मजबूर हैं। ऐसे में विभाग से शिकायत या इस तरह के अव्यवस्था का सामना करने में भी असमर्थ हैं। ऐसे स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इनका ख्याल नहीं रखते हैं। जब एक्शन विचार डॉट काम की टीम सावन अस्थाना के नेतृत्व में यहाँ पहुंची तो लोगो का गुस्सा सातवें आसमान पर था –
हमलोग कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
जितनी गर्मी बढ़ रही है पानी संकट उतना ही बढ़ता जा रहा है। हमलोगो को दिन हैंडपंप से पानी भरना पड़ता है। कई बार शिकायत की गयी है परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ है। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। हमलोग कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
आकाश सोनी
जल्द से जल्द ये समस्या ठीक होनी चाहिए
हमलोगो का जीवन दुश्वार हो गया है। नहाना धोना सबकुछ बड़ी मुसीबत है। पानी की बूँद बूँद को तरस से गए हैं। हर घर जल योजना गाँव में क्या होगी जब सहरी क्षेत्र का इतना बुरा हाल है तो। जल्द से जल्द ये समस्या ठीक होनी चाहिए।
प्रीतम विश्वकर्मा
इतनी गर्मी ऊपर से पानी ढ़ुलाई
रात को सोते पानी की कमी के डरावने सपने आते हैं। एक तो इतनी गर्मी ऊपर से पानी ढ़ुलाई करना मूर्छा आ जाती है। जीवन नर्क से भी बद्द्तर हो गया है। ऐसे ही चलता रहा तो कुछ लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा आघात लग सकता है। जिसके लिए प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।
राजेश सिंह
“जिन बच्चों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलता, जिन महिलाओं को अपनी सुरक्षा का डर है, जिन युवाओं को अच्छी शिक्षा पाने का मौका नहीं मिलता, उन्हें बेहतर जीवन जीने का अधिकार है और बेहतर जीवन जीने की जिम्मेदारी हमारी है। सभी लोगों को सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, आश्रय और बुनियादी सेवाओं का अधिकार है।”
बान की मून, संयुक्त राष्ट्र महासचिव