विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेंगू से बचाव के लिए एक नई वैक्सीन (TAK-003 ) को स्वीकृति दे दी

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेंगू से बचाव के लिए एक नई वैक्सीन (TAK-003 ) को स्वीकृति दे दी


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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू से बचाव के लिए एक नई वैक्सीन (TAK-003 ) को स्वीकृति दे दी है। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा प्री क्वालिफिकेशन प्राप्त करने वाला यह दूसरा टीका है। प्री-क्वालीफ़िकेशन प्रक्रिया के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस्तेमाल में लाई जाने वाली दवाएँ व वैक्सीन, गुणवत्ता, सुरक्षा और कारगरता के वैश्विक मानकों पर खरी है या नहीं।

    डेंगू एक वायरस संक्रमण है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।  डेंगू से संक्रमित अधिकाँश लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते है।  आम तौर पर संक्रमित व्यक्तियों में बुख़ार, शरीर दर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, और शरीर पर चकत्ते पड़ने की समस्या होती है। अधिकाँश संक्रमित व्यक्ति  एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते है।  मगर इस संक्रमण के गम्भीर रूप धारण करने से मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है।  कुछ मामलों में यह बीमारी जानलेवा साबित होती है। 

डेंगू बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है

     यूएन एजेंसी में नियामन व पूर्व-योग्यता के लिए निदेशक डॉक्टर रोजेरियो गैस्पर ने कहा कि TAK-003 की प्री-क्वालीफ़िकेशन डेंगू वैक्सीन की सुलभता बढ़ाने की दिशा में एक अहम क़दम ह।  संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और अमेरिका क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य संगठन अब इन टीकों को ख़रीद सकेंग। अब तक दो डेंगू वैक्सीन को प्री-क्वालीफ़ाइ किया गया है ।  उन्हें ज़रूरतमन्द समुदायों तक पहुँचाने के प्रयास चल रहे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने TAK-003 का इस्तेमाल 6-16 वर्ष आयु के बच्चों में किए जाने की सिफ़ारिश की है ।  उन देशों में जहाँ डेंगू का फैलाव व बीमारी का बोझ बहुत अधिक है । इस टीके की दो ख़ुराक हैं, जिन्हें तीन महीने के अन्तराल में दिया जाना होगा।  एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में हर वर्ष डेंगू के 10 से 40 करोड़ मामले दर्ज किए जाते है।  3.8 अरब लोग फ़िलहाल ऐसे देशों में रह रहे हैं, जहाँ डेंगू का प्रकोप है ।  विशेष रूप से एशिया, अफ़्रीका और अमेरिका क्षेत्र में वर्ष 2023 में डेंगू बुख़ार के सबसे अधिक मामले अमेरिका क्षेत्र में स्थित देशों में दर्ज किए गये।   जहाँ कुल 45 लाख मामलों की पुष्टि हुई और 2,300 लोगों की मौत हुई है।  शहरीकरण बढ़ने और जलवायु परिवर्तन के कारण कई अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में डेंगू के मामले बढ़ने की आशंका जताई गई। 

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