दस वर्षों से चल रहा है निशुल्क भंडारा ताकि दरवाजे से भूखा न जाए कोई व्यक्ति
पिछले 10 वर्षों से लगातार निशुल्क भंडारे का आयोजन हो रहा है। जिसमे दर्जनों गरीब दुखियों को दोपहर एक बजे से दो बजे के बीच दरी पर बिठाकर निशुल्क भोजन कराया जाता है। इसके बाद आने वाले लोगों को दोने में भोजन प्रसाद दिया जाता है। भोजन प्रसाद समाप्त हो जाने के बाद आने वाले लोगो को भंडारे के आयोजक भगवान चौरसिया अपनी दुकान से बिस्कुट नमकीन आदि खाद्य पदार्थ देकर ही विदा करते हैं। उनका उद्देश्य है की दरवाजे पर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली नहीं जाना चाहिए। श्री चौरसिया का पिछले 10 वर्षों से यही रूटीन है। दर्जनों गरीब दुखियो के लिए भोजन सामग्री जुटाना उसे पकाना और उसके भजन करते हुए उन सभी लोगों को भोजन कराना। उसके बाद सव्य भोजन करना। हर एकादशी को भोजनालय में पूरी सब्जी का खाश भोजन वितरित होता है।
भगवान चौरसिया के बारे में
श्री चौरसिया मूलतः गाजीपुर के रहने वाले हैं। इंटर की परीक्षा फ़ैल होने के बाद 1994 में परिवार के साथ लखनऊ आये। सीमेंट की बोरी बेचने का काम करते थे। 2006 में वृन्दावन सेक्टर 8 में रहने के लिए आये। सीमेंट मोरन आदि बेचने का काम शुरू किया। 2010 में भाई के जाने के बाद इन्होने किराना की दूकान खोल ली। ये 2007 से ही सरबत वितरण करते थे। एक दिन में एक बोरा चीनी खत्म हो जाती थी। फिर जल प्याऊ बनवाया। फिर फ्रीजर भी लगवाया। उसके उपरांत 8 जून 2014 को निशुल्क भोजनालय खोलने का ख्याल आया 9 जून 2014 को निशुल्क भोजनालय घर में ही आरम्भ हो गया।
8 वर्षों से लगातार अंधे सांड की कर रहे हैं सेवा
पिछले 8 आठ वर्षों से लगातार भगवान चौरसिया अंधे सांड की सेवा कर रहे हैं। उनका कहना है की इस सांड को हमेशा गौशाला में बंधे रहते हैं। इसे छोड़ते नहीं है नहीं तो इसके चोटिल होने का खतरा रहता है। श्री चौरसिया ने बताया की यह सांड उन्ही की गौशाला में गाय ने जन्म था। वः बचपन से अँधा है। उसकी सेवा करने में बड़ा सुख मिलता है। इसके अतिरिक्त चार गाय भी हैं जिनमे से एक गाय थोड़ा बहुत दूध देती हैं बाकी की गायें चार पांच सालों से दूध नहीं दे रही हैं उनका भी तल्लीनता से पोषण हो रहा है।
हर रंग की चिड़िया का लगता है बसेरा
पिछले 20 सालों से लगातार निशुल्क भोजन प्रसाद वितरण के व्यवस्थापक भगवान चौरसिया जी अपने निवास स्थान पर चिडियो को दाना डालते हैं। जिसका परिणाम है की आज कोई भी ऐसा रंग नहीं है जिस रंग की चिड़िया उनके घर पर न आती हो। चौरसिया बताते हैं की सुबह सुबह हजारों चिड़ियाँ दाना चुगने आती हैं जिन्हे देख कर मन में बहुत प्रसन्नता होती है।
असफलता सिद्ध करती है की पुरे मन से कार्य नहीं किया गया। पूरे मन से कार्य कर के असम्भव को भी सम्भव किया जा सकता है। कोई अपने दरवाजे पर आये तो भूखा न जाए ईश्वर से इतनी ही प्रार्थना रहती है। और यह प्रार्थना पूरे मन से की इसलिए आज तक ऐसा ही हुआ है की दरवाजे पर आने वाले कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं गया है। क्यूंकि भगवान भाव का भूखा है। पूरे मन से प्रार्थना करने का भाव भगवान कभी खली नहीं जाने देते हैं।
भगवान चौरसिया, व्यवस्थापक निशुल्क भोजनालय स्थल