मांगने वाला शिकायतकर्ता बन जायेगा और कृतञता का भाव नहीं पनप सकेगा – आचार्य चंद्र भूषण
मानवजाति ने दो तरह के गीत गए हैं। याचना का गीत और शिकायत का गीत गया है। मैंने प्रकृति द्वारा कृतञता का गीत , मंगलकामना का गीत और उपकार के गीत लिखे हैं। मंगता एक दिन शिकायतकर्ता हो जायेगा। प्रकृति और परमात्मा ने हमे सबकुछ दिया है। जो हमे प्राप्त हुआ है हम उसके लिए कृतज्ञ नहीं हैं इसीलिए दुखी हैं।
यह बातें एक्शन विचार डॉट काम के साथ खाश वार्ता के दौरान पर्यावरण एवं शिक्षा के संरक्षण में जुटे चंद्र भूषण तिवारी ने कही। उन्होंने आगे कहा की हमने अपने जीवन काल में 11 लाख वृक्ष लगाए हैं। हमने ईश्वर की प्रेरणा से जो संकल्प लिया था वो पूर्ण हुआ। अब लोगों के मन में वृक्षरोपण की प्रेरणा जाग्रति करना है। यह शुभ विचार स्वस्थ समाज का निर्माण करेगा। मेरी जिंदगी का उद्देश्य शुभ विचार के लिए कार्य करना फिर शुभ संकल्प करन। संकल्प पूर्ण हो जाये तो लोगों में ऐसा करने की प्रेरणा पैदा करना है।
बढ़ता जा रहा गरीब बच्चों की शिक्षा का सिलसिला
वृक्ष लगाने के साथ साथ आचार्य तिवारी गरीब बच्चों में निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के केंद्र भी संचालित करते हैं। इन दिनों गरीब बस्ती में उनके दो शिक्षा केंद्र संचालित हो रहे हैं। पहला केंद्र रतन खंड के संत गाडगे जलाशय पार्क और दूसरा केंद्र भी रतन खंड के ही पानी वाली टंकी के पार्क पर चलता है। इन दोनों शिक्षा केन्द्रो में गरीब बच्चे जो किसी भी कारन से स्कूल नहीं जा पाते हैं उनको मुफ्त में बेसिक शिक्षा दी जाति है। कोरोना से पूर्व आचार्य दो और केन्द्रो का संचालन करते थे। जो लॉक डाउन में बंद हो गए।
बक्से में रहती है पाठ्य सामग्री
आचार्य का शिक्षा केंद्र की शुरुआत 8 बजे सुबह से 11 30 बजे दोपहर तक चलती है। शिक्षा केंद्र पाठ्य सामग्री एक बक्से में बंद रहती है। और केंद्र के पास ही टेंट भी रखा रहता है। यह बरसात के दिनों में बच्चो के लिए बचाव का काम करता है। अन्य दिनों में यह कक्षा पेड़ की छाव में चलती है। इस अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रो से अब तक हजारों बेसहारा बच्चे पढाई लिखाई सीख सकें हैं। जो उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत काम आते हैं। मंगलवार को कक्षा में अवकाश रहता है। कुछ लोग कक्षा में निशुल्क शिक्षा प्रदान भी करते हैं।