चौधरी चरण सिंह ने पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी और निडर राजनेता होने का उदाहरण प्रस्तुत किया: उपराष्ट्रपति

राष्ट्रीय

 ने कहा-

  • उपराष्ट्रपति ने कहा- कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है :
  • लोकतंत्र को समृद्ध बनाने के लिए अभिव्यक्ति और संवाद का साथ-साथ होना जरूरी हैः उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 प्रदान किए

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कृषि, ग्रामीण विकास और पत्रकारिता में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 प्रदान किए। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धनखड़ ने चौधरी चरण सिंह की असाधारण विरासत की सराहना करते हुए ग्रामीण विकास, किसानों के कल्याण एवं समावेशी विकास के प्रति उनके अथक समर्पण का उल्लेख किया।

 

उनके नेतृत्व का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि चौधरी चरण सिंह की पहचान उत्कृष्टता, संपूर्ण राजनेता, दूरदर्शिता और समावेशी विकास से है। इसमें किसी तरह का कोई आश्चर्य नहीं कि वे भारत के सबसे बड़े राज्य के पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बने।

उनके योगदान को कम मान्यता मिलने पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब लोग ऐसे व्यक्ति के महान योगदान का मूल्यांकन करने में अदूरदर्शिता दिखाते हैं तो मन को ठेस पहुंचती है। उनके अद्भुत गुण, गहरी लगन और ग्रामीण भारत के बारे में उनका ज्ञान दुनिया भर के प्रबुद्ध व्यक्तियों के लिए चिंतन का विषय है। एक धरतीपुत्र के रूप में, वह न केवल ग्रामीण भारत के बारे में बल्कि शहरी भारत के बारे में भी सजग थे और उनकी दूरदृष्टि हमारी सभ्यतागत लोकाचार से जुड़ी हुई थी।

 

भारत की आर्थिक प्रगति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समय भारत पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। निस्संदेह, हमारी अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। हम वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े देश हैं और जापान और जर्मनी से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं लेकिन 2047 तक विकसित देश बनने के लिए हमारी आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए जो एक बड़ी चुनौती है।

इस चुनौती को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गांव की अर्थव्यवस्था तभी बेहतर हो सकती है जब किसान और उनका परिवार विपणन, मूल्य संवर्धन और हर जगह क्लस्टर बनाने में शामिल हो, जिससे आत्मनिर्भरता आए। हमारे पास सबसे बड़ी बाजार कृषि उपज है, फिर भी कृषक समुदाय इससे शायद ही जुड़े हों। कृषि क्षेत्र को सरकारों द्वारा प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि यह आर्थिक विकास का इंजन बन सके।

उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र के सार को भी रेखांकित करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र को परिभाषित करते हैं। एक राष्ट्र कितना लोकतांत्रिक है, यह उसके व्यक्तियों और संगठनों की अभिव्यक्ति की स्थिति से परिभाषित होता है। किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए, अभिव्यक्ति और संवाद दोनों पक्षों की बड़ी जिम्मेदारी के साथ चलना चाहिए।

 

चौधरी चरण सिंह पुरस्कारों पर विचार करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनकी स्थिरता पर जोर देते हुए कहा कि इन पुरस्कारों को समय के साथ इस तरह से संरचित किया जाना चाहिए कि भावी पीढ़ी आत्मनिर्भर हो सके। कामकाज में उदारता के लिए वित्तीय मजबूती बहुत जरूरी है। जो कोई भी ग्रामीण भारत और किसानों के कल्याण के बारे में सोचता है, चाहे वह कॉर्पोरेट क्षेत्र से हो, बुद्धिजीवियों से हो या समाज के अन्य क्षेत्रों से, उसे इस तरह के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक हमें दूसरा चौधरी चरण सिंह नहीं मिलेगा।

चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 में कृषि, ग्रामीण विकास और पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सुश्री नीरजा चौधरी को व्यावहारिक पत्रकारिता के प्रति समर्पण के लिए कलाम रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया। जल संरक्षण में उनके अग्रणी प्रयासों के लिए डॉ. राजेंद्र सिंह को सेवा रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया। कृषि अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए डॉ. फिरोज हुसैन को कृषक उत्थान पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री प्रीतम सिंह को कृषि उत्कृष्टता में उनके योगदान के लिए किसान पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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