बाजार की अस्थिरता कम करने को ई-एनएएम समेत कई योजनाएं: रामनाथ ठकुर

संसद से 

किसानों को समर्थन देने के लिए पहल

लोकसभा 

नई दिल्ली।  सरकार कृषि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने, वैकल्पिक विपणन चैनल बनाने, किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तथा बाजार की अस्थिरता को कम करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करती है। इन उपायों में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम), 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) योजना का गठन और संवर्धन, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क के ज़रिए बाजार तक सीधे पहुंच, कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन के लिए एकीकृत योजना (आईएसएएम), और प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत मूल्य समर्थन शामिल हैं। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।

विपणन अनुसंधान और सूचना नेटवर्क (एमआरआईएन), आईएसएएम की एक उप-योजना है, जो कृषि वस्तुओं की कीमतों और उनके आगमन पर प्रतिदिन ताज़ा जानकारी प्रदान करती है। इस योजना में 3,771 बाजार यार्ड शामिल हैं, जो 300 से अधिक वस्तुओं पर नज़र रखते हैं। इस सूचना को डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे एगमार्कनेट पोर्टल, ई-एनएएम पोर्टल, किसान सुविधा आदि के माध्यम से प्रसारित किया जाता है।

राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (एनएमएसए), बदलती जलवायु के प्रति कृषि को स्थिर बनाने के लिए रणनीतियों को विकसित और कार्यान्वित करता है। एनएमएसए के तहत,  प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना,  सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों के ज़रिए पानी की उपयोग दक्षता में सुधार लाती है, और वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास (आरएडी) योजना उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तनशीलता के जोखिमों को कम करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) पर केंद्रित है। बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) और कृषि वानिकी और राष्ट्रीय बांस मिशन भी जलवायु स्थिरता बढ़ाने के लिए काम करते हैं।

मौसम सूचकांक आधारित पुनर्संरचित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), फसल खराब होने पर एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है। ये योजनाएं प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल में हानि या क्षति से प्रभावित किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती हैं।

‘विस्तार सुधारों के लिए राज्य विस्तार कार्यक्रमों को समर्थन’ नामक केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना, 28 राज्यों और 5 संघ शासित प्रदेशों के 739 जिलों में कार्यान्वित की गई है। यह योजना किसानों के प्रशिक्षण, प्रदर्शनों, एक्सपोजर दौरों जैसे विभिन्न कार्यकलापों के ज़रिए विकेन्द्रीकृत कृषक-अनुकूल विस्तार प्रदान करती है। कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, किसानों के बीच कृषि और समवर्गी क्षेत्रों में नवीनतम प्रौद्योगिकियों का प्रसार करती है। केवीके, कृषि प्रशिक्षण और स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी और खेती प्रणालियों को लेकर भी समर्थन करता है। सरकार समय-समय पर कृषि नीति निर्माण में किसानों और अन्य हितधारकों के साथ संपर्क करती रहती है।

 

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