सोशल मीडिया पर लड़कियों के सुंदरता के आवास्तविक मानकों के महिमामंडन मे आने का खतरा

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Technology on Her Terms’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल में छात्र-छात्राओं का पढ़ाई-लिखाई से ध्यान भटकने और साइबर माध्यमों पर उन्हें डराए-धमकाए जाने की आशंका भी बढ़ती है। यूनेस्को के अनुसार सोशल मीडिया पर यूज़र्स को एल्गोरिथम के आधार पर मल्टीमीडिया सामग्री के उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन इससे लड़कियों के यौन सामग्री से लेकर ऐसे वीडियो की जद में आने का ख़तरा है, जिनमें अनुचित बर्ताव या शारीरिक सुन्दरता के अवास्तविक मानकों का महिमांडन किया गया हो।
इससे लड़कियों के लिए मानसिक तनाव बढ़ सकता है। उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँच सकती है। अपने शरीर के प्रति उनकी धारणा पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यह लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को गहराई तक प्रभावित करता है। जोकि उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और करियर में सफलता पर असर डाल सकता है। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा कि बच्चों का सामाजिक जीवन, काफ़ी हद तक सोशल मीडिया में परिलक्षित हो रहा है। अक्सर एल्गोरिथम पर केन्द्रित प्लैटफ़ॉर्म से नकारात्मक लैंगिक मानकों को बढ़ावा मिलता है। इसके मद्देनज़र उन्होंने डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म को विकसित करते समय ऐसे उपाय अपनाने का आग्रह किया जिनसे महिलाओं के लिए उनकी शैक्षिक व करियर से जुड़ी आकाँक्षाएँ सीमित ना हो सकें। यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में फ़ेसबुक की रिसर्च का उल्लेख किया है। जिसके अनुसार एक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली 32 फ़ीसदी किशोर लड़कियों ने बताया कि उन्हें अपने शरीर के बारे में बुरा महसूस होता है। डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर लड़कों की तुलना में लड़कियों को डराए-धमकाए जाने की ज़्यादा घटनाओं का सामना करना पड़ता है। सम्पन्न देशों के समूह(OECD) में उपलब्ध डेटा के अनुसार, औसतन 15 वर्ष की आयु की 12 प्रतिशत लड़कियों को साइबर माध्यमों पर डराया धमकाया गया जबकि लड़कों के लिए यह आँकड़ा आठ फ़ीसदी है।

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