पुस्तकालय की स्थापना बड़े पुण्य का कार्य

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बिसवां (सीतापुर) – आज के मोबाइल फोन के दौर में बच्चों को पुस्तकों के प्रति आकर्षित करना सबसे बड़ी चुनौती का कार्य है। अगर बचपन से किताबों में रूचि और आकर्षण पैदा कर दिया जाये तो वह जीवन भर बना रहता है तथा उसकी आदत में शामिल हो जाता है। यह बात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के भाषाविद् राजेश कुमार मिश्र ने दत्तात्रेय एजूकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित रीता ग्रुप आफ कालेजेज महाराजा गंज में बच्चों के पुस्तकालय के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मौजूद शिक्षकों छात्रों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का भण्डार हैं। वर्तमान समय में गूगल और इंटरनेट पर भी सभी प्रकार की किताबें मौजूद हैं लेकिन बच्चों को मोबाइल फोन की अपेक्षा पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाये तो बेहतर होगा। मुख्य अतिथि ने फीता काटकर पुस्तकालय का उद्घाटन किया। प्रोफेसर डॉ0 यशवन्त त्रिवेदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तकालयों की उपयोगिता और महत्त्व हर दौर में रहा है। सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहां विविध विषयों और विभिन्न भाषाओं की किताबों का अनमोल खजाना उपलब्ध रहता है।

कालेज की प्रबंधिका डॉ0रीता मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बेहतर जीवन का रास्ता अच्छी किताबों से होकर गुजरता है।अच्छी पुस्तकों के पढ़ने से न सिर्फ ज्ञान बढ़ता है बल्कि अच्छे समाज का निर्माण होता है और व्यक्तित्व जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से करने के लायक बनता है ।अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को पुस्तकों के प्रति प्रेरित करें। उन्हें उनकी रूचि के अनुसार आवश्यक पुस्तकें उपलब्ध करायें।

संगोष्ठी का संचालन अनवर बिसवानी ने किया। इस मौके पर छात्रों द्वारा सफदर हाशमी की नज़्म “किताबें कुछ कहना चाहती है” प्रस्तुति की। संगोष्ठी में शिक्षक रामचन्द्र वर्मा, सृष्टि मिश्रा, हिमांशी, गुंजन तिवारी, गायत्री श्रीवास्तव,सना, आरिफा खान, उमा रमन मिश्र, सूर्य प्रसाद त्रिपाठी व आशीष कुमार आदि मौजूद थे।

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