मीडिया कॉन्क्लेव का परिचय देबोब्रत घोष ने दिया और इस आयोजन के दो दिनों के संक्षिप्त विवरण की जानकारी डॉ. राजीव सिंह द्वारा दी गई।
सीएसआईआर-केंद्रीय विद्युत-रासायनिक अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. के. रमेश ने अपने संबोधन में कहा कि आईआईएसएफ एक विज्ञान एक ऐसा महोत्सव है जिसे देश के लोगों के साथ मनाया जाता है। यह मीडिया शोध को लोगों तक पहुंचाने में सहायता करता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध को अधिकतर इस कार्य से जुड़े व्यक्ति ही समझते हैं। आईआईएसएफ ने मीडिया से अनुरोध किया कि वह शोध को रचनात्मक तरीके से लोगों तक पहुंचाए, ताकि लोग शोध कार्य को समझ सकें। उन्होंने हर मीडियाकर्मी से अनुरोध किया कि वे इन शोधों को सकारात्मक रूप से लोगों तक पहुंचाए क्योंकि मीडिया ही इस कार्य को लोगों तक जोड़ने का माध्यम है।
सीएसआईआर-एनआईएससीएआईआर के पूर्व निदेशक डॉ. मनोज कुमार पटैरिया ने कहा कि विज्ञान विधि के रूप में कार्य करता है जिसमें जिज्ञासा, विश्लेषण, प्रयोग और सत्यापन शामिल है। यही बात मीडिया पर भी लागू होती है और इस तरह मीडिया और विज्ञान की प्रक्रिया समान ही है।
विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. श्री शिवकुमार शर्मा ने कहा कि उन्हें यह अनुभव हुआ है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी अवधारणाओं को समझने और समझाने के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए, हमें जटिल विचारों को ऐसे सरल तरीके से संप्रेषित करने की आवश्यकता है जो सभी को समझ में आते हों। इसके लिए एक विचारशील दृष्टिकोण की आवश्यकता है, हम क्या संप्रेषित करना चाहते हैं और इसे प्रभावी ढंग से कैसे करना है, इस बात पर विचार करते हुए कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जनता के साथ साझा करने के लिए व्यवस्थित तरीके विकसित करके और मीडिया क्षमता का लाभ उठाते हुए हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।
सम्मेलन में पूर्वोत्तर मीडिया में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रसार पर एक पैनल चर्चा भी शामिल थी। इसमें असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अरूप मिश्रा, मणिपुर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डॉ. मिनकेतन सिंह, असम विज्ञान प्रौद्योगिकी, पर्यावरण परिषद के निदेशक डॉ. जयदीप बरुआ और मिजोरम विज्ञान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. डेवी तथा विज्ञान पत्रकार सुश्री गीताली सैकिया जैसे विशेषज्ञों ने भाग लिया।
आहार क्रांति पर डॉ. येलोजी राव मिराजकर का व्याख्यान:
भारत को खाद्य उत्पादन और उपभोग पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि संतुलित और स्वस्थ आहार सुनिश्चित किया जा सके जो देश के कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का समाधान निकालता हो। चरक आयुर्वेदिक आहार जैसी पारंपरिक आहार प्रथाओं को अपनाना और पाचन एवं पोषण के महत्व को समझाते हुए भारतीयों के लिए निदिृष्ट भोजन विकल्प बनाने और स्वस्थ जीवन जीने में सहायता प्रदान कर सकता है। अन्न और आहार के बीच केवल इतना अंतर है कि अन्न को हम मुख से मात्र उदरपूर्ति के साधन के रूप में ग्रहण करते हैं जबकि आहार में वह संपूर्ण पोषण शामिल है जिसका हम अपनी इंद्रियों के माध्यम से आनंद लेते हैं।
इस सम्मेलन का समापन मीडिया में एसएंडटी कवरेज पर एक सत्र के साथ हुआ, जिसमें वैज्ञानिकों, मीडिया पेशेवरों और जनता के बीच वार्तालाप हुआ। इस अवसर पर डॉ. केजी सुरेश, पूर्व महानिदेशक, आईआईएमसी के साथ-साथ डॉ. मनोज पटैरिया, श्री डेकेन्द्र मेवाड़ी, डॉ. केएन पांडे, धृपल्लव बागला, श्री समीर गांगुली, श्री मारुफआलम और डॉ. वामसी कृष्णा जैसे विशेषज्ञों ने मीडिया के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर अपने विचार साझा किए। मीडिया कॉन्क्लेव के दौरान आज विज्ञान आधारित फीचर फिल्म पर भी एक सत्र आयोजित किया गया।
कई विज्ञान संचारकों और छात्रों ने विशेषज्ञों के साथ संवाद किया। इसके परिणामस्वरूप एक उपयोगी प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मीडिया कॉन्क्लेव के उद्देश्यों की प्रभावी ढंग से प्रस्तुति की गई।