लखीमपुर खीरी। गिरते भूजल स्तर के बावजूद जिले में साठा धान की खेती हो रही है। कई ब्लॉक में किसान मनमाने तरीके से धान लगा रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी एनजीटी में चल रहे केस और टीम की बात कहकर मामले को टालने में जुटे हैं।
धीरे-धीरे तराई में भी भूजल स्तर नीचे खिसकने लगा है। जल संकट गहरा रहा है। इसके बावजूद किसानों का साठा धान के प्रति मोह कम नहीं हो रहा है। बांकेगंज, गोला, पलिया और अन्य स्थानों पर यह धान खूब लगाया जा रहा है, जबकि जिले के कुछ ब्लॉकों में इस धान की खेती पर प्रतिबंध भी लगा है।
पूरे जिले में साठा धान की खेती को प्रतिबंधित किए जाने की बात भी चर्चा में है। बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर एक संदेश वायरल हुआ। इसमें खीरी जिले में साठा धान की खेती को प्रतिबंधित किए जाने की बात कही गई। इसकी वजह गिरता भूजल स्तर बताया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस संदेश के बारे में जिला कृषि अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। बताया कि राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण (एनजीटी) में इस संबंध में सुनवाई हो रही है।
एनजीटी की टीम ने किया है सर्वे
जिला कृषि अधिकारी अरविंद चौधरी ने बताया कि सोमवार को एनजीटी की टीम जिले में आई थी। टीम ने सर्वे किया है। रिपोर्ट दाखिल करेगी। बताया कि जिले में साठा धान की खेती प्रतिबंधित किए जाने से संबंधित सूचना नहीं मिली है। जिले में मितौली और मोहम्मदी इलाके में इस धान की खेती पूर्व से प्रतिबंधित है।