वो सच जो कभी सार्वजनिक नहीं हो सका

Action Vichar Interview

वो सच जो कभी सार्वजनिक नहीं हो सका


Action Vichar Interview

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अक्षर अक्षर जोड़कर शब्द बनते थे। शब्दों से लाइन बनती थी जिन्हे जोड़कर अख़बार का पेज तैयार होता था।

ये पेज प्रूफरीडर से पास होने के बाद अख़बार के रूप में जनता के समक्ष होता था। सबकुछ इतना आसान नहीं था जितना अब हो गया है। अब तो अख़बार बनने की प्रक्रिया बहुत सरल है काफी सुविधाएँ है। दैनिक जागरण अख़बार से 40 साल के लम्बे करियर की शुरुआत करने वाले रुद्र शिव मिश्रा ने यह जानकारी दी।

Photo Caption | हिन्दुस्तान मे प्रकाशित रुद्र शिव मिश्रा जी की न्यूज़

यह बातें वरिष्ठ पत्रकार रुद्र शिव मिश्रा ने विशेष वार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया की वो दौर था जब हम कोई

अक्षर या शब्द गलत कर देते थे और उसे तुरंत नहीं देख पते थे और आगे बढ़ जाते थे तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता था। श्री मिश्रा ने बताया की उनके करियर की शुरुआत दैनिक जागरण अख़बार से हुई थी। उस समय जागरण अखबार भी शैशवावस्था में था। उसके बाद उन्होंने नव भारत टाइम्स और हिंदुस्तान जैसे बड़े बैनरों में भी उच्च पदों पर कार्य किया। उन्होंने अपने 40 साल के पत्रकारिता सफर पर खुल के चर्चा की। जो की नीचे दिए गए लिंक में सुन सकते हैं। उन्होंने अपने टाइप राइटर से पत्रकार बनने पर प्रकाश डाला है। उन्होंने एक संड़क का वर्णन किया है जिसमे सम्पादक ने रिपोर्टरों से मिलने के बाद ऑपरेटरों से मीटिंग की थी और कुछ जानकारियां दी थी। उन्हने पत्रकारिता जीवन में बेरोजगारी के दौर और कोर्ट के मामलो पर भी खुल कर चर्चा की है।

https://www.youtube.com/watch?v=oh7JAd1VK8g

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