सतना- दिवाली के बाद छठ महापर्व षष्ठी से दो दिन पहले यानी चतुर्थी से नहाय खाए से आरंभ होता है और इसका समापन सप्तमी को पारण करने के बाद होता है। बताते चलें कि छठ महापर्व बिहार का एक प्रमुख पर्व है जो आज नहाए खाए पूजा के साथ शुरू हो चुका है साथ ही कल पंचमी को खरना, षष्ठी को डुबते सुर्य को अर्घ्य देने एवं सप्तमी को उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में सूर्य और छठी मईया की पूजा होती है किन्तु पूजा आसान नहीं होती है जितना सुनने और पढने में समझ आता है। छठ पूजा करने वाले लोग 36 घंटे का व्रत रखते हैं एवं षष्ठी को सूरज डुबने तक पानी में खडे रहते हैं और सप्तमी को सूरज उगने के पहले पानी में खडे होकर सूर्य उदय के बाद जल देकर बाहर आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को सच्चे मन से करने पर घर में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है रामायण कि कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी मां सीता के साथ अयोध्या वापस लौटे थे तब माता सीता नें कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्य देव की अराधना की थी साथ ही द्वापर युग में द्रौपदी नें भी अपने पतियों के लिए एवं खोया राजपाठ वापस पाने के लिए षष्ठी का व्रत रखा था इसलिए छठ पूजा का विशेष महत्व है।
नहाए-खाए के साथ आज से छठ पूजा शुरू
