मुख्य अचार पंडित विवेक मिश्र जी आज देवी महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि अत्याचार से सकल चराचर जगत में त्राहि-त्राहि मच रही थी, तभी बह्मा, विष्णु महेश की उपासना से महा शक्ति के रूप में जगत जननी मां दुर्गा जी प्रकट हुईं और मां दुर्गा जी इस उपासना से प्रसन्न हुईं और देवताओं से वरदान मांगने को कहा। तभी देवताओं ने राक्षसों से पृथ्वी को भय मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा जी से आग्रह किया। मां ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया, जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में श्री दुर्गा सप्तशती नामक गं्रथ में वर्णित है। श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को 108 बार करने को शतचंडी पाठ महायज्ञ कहा जाता है, पाठ को 1000 बार करने को सहस्रचंडी महायज्ञ कहा जाता है और पाठ को एक लाख बार करने पर लक्ष्यचंडी महायज्ञ कहा जाता है
शतचंडी पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां दुर्गा की विशेष कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है। इस पाठ को करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।मुख्य यजमान व्यापारी नेता रवीन्द्र त्रिपाठी व उनकी पत्नी शशि बाला त्रिपाठी हैं श्री त्रिपाठी ने बताया कि 3 सितंबर से अयोध्या के मुख्य आचार्य पंडित विवेक मिश्र सहित आठ ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती महायज्ञ शुरू हुई है जिसमें दुर्गा सप्तशती का 108 पाठ किया जाएगा और 11कन्या पूजन अक्टूबर को हवन होगा। सुबह शाम माता जी का पूजन अर्चना व आरती होती है।इस महायज्ञ को वैदिक ब्रह्मण विद्वान रितेश शास्त्री अर्जुन शास्त्री शुभम शास्त्री ललित शास्त्री हरिकेश शास्त्री अनीश शास्त्री तथा पंडित उमेश शास्त्री द्वारा निरंतर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है।