सतना- पितरों अर्थात पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए शहर से पितृ पक्ष में पवित्र फल्गु नदी के किनारे बसे प्राचीन शहर गया (बिहार) जाने के लिए तीर्थ यात्री लगातार रवाना हो रहे हैं।
विस्तार- हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि के समाप्त होने से लेकर अश्विन महीने की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष पडता है जिसको श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए बिहार के गया में पिंडदान किया जाता है एवं मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को शक्ति मिलती है जिससे उनके पितर लोक जाने का रास्ता खुल जाता है इसलिए गया में पिंडदान करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
पिंडदान करने से 21 पिढियों का हो जाता है उद्धार
या सा वैतरणी नाम त्रियु लोकेषु विश्रुता।।
सावतीर्णा गयाक्षेत्रे पितृणां तारणाय हि।
अर्थात यहां स्थित कोटितीर्थ जाने से मनुष्य को पुण्डरीक विष्णु लोक प्राप्त होता है।
गया क्षेत्र में त्रिलोकविश्रुत वैतरणी नामक नदी है जो गया क्षेत्र में पितरों का उद्धार करने के लिए अवतरित हुई थी इसलिए जो श्रद्धालु वहां पर पुर्वजों का पिंडदान करता है तो माना जाता है कि वह अपने 21 पिढियों का उद्धार कर रहा है।