सतना- मध्य प्रदेश में पहली बार सतना नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाए जाने का मामला सामने आया है। बताते चलें कि सतना नगर निगम प्रतिपक्ष नेता मिथलेस सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 पार्षदों नें नगर निगम अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी के खिलाफ कलेक्टर अनुराग वर्ना को आवेदन देकर नगर पालिका निगम अधिनियम की धारा- 23 क ( 2 )के तहत अविश्वास के प्रस्ताव पर सम्मेलन बुलाने का आग्रह किया है। प्रस्ताव में 6 सुत्रीय आरोप शामिल करते हुए आरोप लगाया गया है कि नगर निगम अध्यक्ष का क्रियाकलाप पदीय गरिमा के विपरीत है। नगर निगम कि बैठकों में पार्षदों के एजेंडा या अन्य प्रस्ताव कि चर्चा कार्यवत पुस्तिका में नहीं अंकित कि जाती हैं। ऩगर निगम अध्यक्ष कर्तव्यों का निर्वहन करने में साम्यपूर्ण नहीं है। निर्वाचित पार्षदों के वार्ड कि जनसमस्या को कभी अंकित नहीं करते हैं। नजीराबाद स्थित मुक्तिधाम के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव बहुमत के आभाव में गिर जाने के बाद भी कार्यवत पुस्तिका में नहीं लिखा गया है और इस मामले में गलत टिप अंकित हुई है। परिषद कि बैठक में आगामी बैठक बुलाने संबंधित पुष्टिकरण कभी नहीं किया जाता। कलेक्टर अनुराग वर्मा नें प्रस्ताव का आवेदन लेते हुए अगले 10 दिन के अंदर इस आशय पर बैठक बुलाकर चर्चा करने और जल्दी मतदान करवाने का निर्णय लिया। हालांकि नगर निगम अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी इस मामले में चिंताजनक नहीं नजर आए क्योंकि महापौर समेत भाजपा के पार्षदों कि संख्या 27 है और कुल कोरम का बहुमत 31 है ऐसे में अगर मतदान कि स्थिति बनेगी तो भाजपा को 4 अतिरिक्त पार्षदों कि जरूरत पडेगी।
संसद हो या विधानसभा अविश्वास प्रस्ताव लाना सियासी जंग में होता रहता है किन्तु सवाल यह उठता है कि मध्यप्रदेश राज्य में बहुमत से बनी भाजपा सरकार के होते हुए भी शहर में नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसी स्थिती क्यों निर्मित हुई। नगर निगम सतना में प्रदेश का पहला अविश्वास प्रस्ताव आने के बाबत एक्शन विचार डाट काम न्यूज नें शहर के लोगों से रायशुमारी करते हुए लोगों कि राय को जाना।
अविश्वास प्रस्ताव लाना जरूरी था – अंकुर
शहर निवासी अंकुर जासवाल के अनुुसार शहर में सभी मुख्य पदों पर भाजपा के ही लोग हैं फिर भी विकास के नाम पर शहर में जिस तरह अव्यवस्था फैली है ऐसी स्थिती में अविश्वास प्रस्ताव जैसा प्रस्ताव विपक्ष द्वारा नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ लाना जरूरी था। नगर निगम अध्यक्ष का भी कर्तव्य है कि वो नगर निगम के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों में किसी तरह का भेदभाव न रखें पर आए दिन पेपरों में पढने मिलता है कि नगर निगम में बैठकें नहीं होती, विपक्ष द्वारा नगर निगम में कार्यों के पुरा न होने पर प्रदर्शन किया गया।
सोते हुए नगर निगम प्रशासन को जगाने के लिए विपक्ष को कुछ न कुछ करते रहना चाहिए – शंकर
शहर निवासी शंकर विश्वकर्मा कहते हैं प्रदेश में बहुमत कि भाजपा सरकार होने के बाद भी भाजपा शासित कई ऐसे शहर हैं जहां विकास तो कुछ हो नहीं रहा बस विकास गिनवाया जाता है और जनता कि परेशानी को नजर अंदाज किया जाता है। शहर में भी ऐसी ही स्थिती है कब जनता के सामने अचानक नगर निगम क्षेत्र विकास कार्यों के वजह से कौन सी मुसीबत आ जाए जनता को नहीं पता होता है। नारायण तालाब कि मेड अचानक टुट जाने कि घटना से वहां के लोगों को जो आर्थिक नुकसान झेलना पड रहा ये इस बात को दर्शाता है कि नगर निगम अपने विकास कार्य में कितना सजग है। विपक्ष को शहर कि भाजपा पार्टी को जगाने के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।