- कलेक्टर, महापौर कि रूची सिर्फ फोटो खिचवाने में, जनता विरोध प्रदर्शन को मजबूर, भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा भोग रहे शहरवासी।
सतना- शहर में प्रशासन द्वारा लापरवाही करने का नतीजा शहर के बहुत से वार्डों में रहने वाले लोग भोगने पर मजबूर हो चुके हैं। प्रशासन द्वारा बिना जांच पड़ताल किए ऐसे निर्णय ले लिए जाते हैं जो जनता के हित में नहीं होते और जनता कि जान जोखिम में डालने वाले होते हैं। मंगलवार को वार्ड 22 में अचानक लोगों के घरों में पानी किचन बेडरूम तक घुस गया एवं कई घरों की दिवाले ढह गई। घर के बाहर खडी कारें, ट्रक आधा पानी नें डुब गई, सडके तालाब बन गई एवं दो छोटे बच्चों की जान पर बन आई अगर छज्जा गिर जाता तो बच्चों कि जान जा सकती थी। अचनाक हुई ऐसी अप्रत्याशित घटना से लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला जिसके वजह से लोगों को भारी नुकसान उठाना पडा। अचानक जलभराव कि ऐसी स्थिती 70 साल पुराने नारायण तालाब का बांध टुट जाने के वजह से हुई जबकि पिछले एक हफ्ते से बारिश भी नहीं हुई है इसलिए प्रश्न यह उठता है कि अचानक बांध टुट कैसे गया? नारायण तालाब के पुर्ऩिंर्माण का कार्य पिछले तीन सालों से चल रहा है किन्तु प्रशासनिक एवं स्थानीय स्तर पर लापरवाही के कारण कार्य पुरा नहीं हो पा रहा है जिसका नतीजा मंगलवार को वार्ड 22 अंतर्गत आने वाले शारदा कॉलोनी के लोगों को भुगतना पडा एवं जान जोखिम में पड गई। स्थानीय निवासियों नें कलेक्टर और महापौर को इस घटना का जिम्मेदार बताया एवं कडा विरोध करते हुए कहा गया अगर कार्य की समीक्षा कलेक्टर और महापौर द्वारा कि जा रही होती तो अचानक ऐसी घटना नहीं होती किन्तु कलेक्टर और महापौर सामाजिक उत्सवों में सम्मानित होने एवं फोटो खिचवाने ज्यादा रूची रखते नजर आते हैं।
लापरवाही का यह अकेला मामला नहीं
सतना शहर में प्रशासन की लापरवाही का यह एकमात्र मामला नहीं है ऐसे कई मामले हैं जिनसे शहर के लोग परेशान रहते हैं। सीवर लाईन प्रोजेक्ट के तहत खुदाई का काम बिना योजना के मनमाने ढंग से शुरू कर दिया जाता है। अमृत मिशन और जला वर्धन योजना के नाम पर सडकों को खोदकर फेंका जा रहा तो कहीं रिस्टोरेशन के नाम पर घटिया निर्माण किया जा रहा है। सडकों के घटिया निर्माण के कारण सडकों पर गड्ढे हो गये हैं जिसके वजह से राहगीर हाथ पांव तुडवाने को मजबूर हैं। सिटी कोतवाली से गौशाला चौक कि सडक को बरसात का अल्टीमेटम मौसम विभाग द्वारा दिये जाने के बाद भी सीवर लाईन प्रोजेक्ट के तहत खोद दिया गया था जिसका दुष्परिणाम आज तक वहां रहने वाले लोग भुगत रहे हैं। लोगों के घरों के सामने मलबा डला रहता है एवं मलबा नालियों में डाल देने के वजह से नालियां चोक हो गई हैं। वहां के स्थानीय निवासियों को अपना काम धंधा छोडकर धरना प्रदर्शन, मौन प्रदर्शन एवं नुक्कड नाटक जैसे प्रदर्शन करके अपनी समस्या से प्रशासन को अवगत करवाया जा रहा था तब कहीं जाकर महीनों बाद नगर निगम प्रशासन कि आंखे खुली एवं महापौर द्वारा निरक्षण करते हुए जल्दी काम पुरा होने का आश्वासन मात्र दिया जा रहा है।