कन्हैया के जन्म का द्वापर में बना योग इस जन्माष्टमी में बन रहा

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सतना- भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर 75 वर्ष बाद द्वापर युग जैसा सौभाग्य योग बनते हुए चार शुभ संयोग का योग है।

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज 26 अगस्त के ब्रम्ह मुहुर्त 3.39 से शुरू हो चुकी है जो 27 अगस्त के ब्रम्ह मुहुर्त पर 2.19 तक रहेगी। भगवन श्री कृष्ण की पुजा का शुभ समय 27 अगस्त देर रात 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक है जो की द्वापर युग मे भगवान कृष्ण के जन्म समय बना था। पुजारियों के अनुसार यह शुभ संयोग इस बार 75 वर्ष बाद बना है एवं आज के दिन चार शुभ संयोग हैं जो भगवान कृष्ण के 5251वें जन्मोत्सव को खास बनाएंगे। लोगों के लिए आज का दिन बेहद खास होता है लोग अपने अपने घरों में कृष्ण की झांकी सजाकर कृष्ण जन्मोत्सव का महोत्सव मनाते हैं। जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है जो लोगों के जीवन में नकारात्मकता को दूर करता है एवं सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है, जन्माष्टमी पर झांकी सजाने का उद्देश्य नियम मात्र नहीं होता है बल्कि इसके कई लाभ भी होते हैं। एक्शन विचार डाट काम न्यूज टीम ने जन्माष्टमी के शुभ संयोग, लाभ एवं पुजन विधि बाबत शहर के संतोषी माता मंदिर पुजारी अनिल पांडे से बात हुई।

पुजारी अनिल पांडे ने बताया की इस बार भगवान श्री कृष्ण की पुजा का शुभ संयोग वैसा बना है जैसा द्वापर युग में कन्हैया के जन्म के समय बना था। आज का दिन बहुत शुभ माना जाता है एवं लोगों को भगवान कृष्ण की झांकी सजाने से बहुत लाभ भी होते हैं जैसे झांकी में मोर पंख लगाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, गाय एवं बछडे की मुर्ति या तस्वीर झांकी में लगाने से भाग्योदय में वृद्धि होती है। झांकी सजाते समय बैंजयंती के फूल, झूला, बांसुरी इन सबका उपयोग करना चाहिए क्योंकि इन चीजों से कान्हा को विशेष लगाव था ऐसा करने पर घर में सुख शांति अवं स्मृद्धि बनी रहती है।

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