बलात्कार जैसी घटनाओं से शहर भी अछूता नहीं

Action Vichar News

सतना- देश में बलात्कार की घटनाएं रोज सुनने और पढने मिलती हैं, ऐसी घटनाओं से शहर भी अछूता नहीं नजर आ रहा है। बिते दिनों चार वर्ष की मासूम का बलात्कार करने करने का प्रयास एक दंरीदे एवं मानसिक रोग से पिडित व्यक्ति द्वारा किया गया। मां की सजगता से बेटी को बचा लिया गया एवं पुलिस विभाग द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए आरोपी को हिरासत में लेकर सलाखों के पिछे भी पहुंचा दिया गया, किन्तु सवाल यह उठता है सलाखों के पिछे मात्र पहुंचा देना क्या ऐसे जघन्य एवं विभत्स घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों के लिए पर्याप्त सजा है। एक्शन विचार डाट काम न्यूज टीम द्वारा शहर की कुछ महिलाओं से रायशुमारी करते हुए ऐसी विभत्स घटनाओं के बाबत उनकी राय जानी।

ऐसे दरिंदों को तुरंत गोली मारने का आदेश होना चाहिए – कविता

बैंक कॉलोनी निवासी कविता पुरोहित कहती हैं बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य करने वाले अपराधी के लिए सरकार को तुरंत गोली मारकर खत्म कर देने का कानून लाना चाहिए ताकि हवस चढने के पहले ऐसे दरिंदो को ये डर रहे की उनकी हवस मिटने के बाद उनकी जिंदगी रहेगी या नहीं।

बच्चियो को बलात्कार जैसी घटना से बचाने के लिए महिलाओं का सजग होना जरूरी पायेंग

उमरी निवासी वंदना मिश्रा कहती हैं छोटी बच्चियों एवं लडकियो को बलात्कार जैसे घटनाओं से बचाने के लिए घर की महिलाओं का सजग होना जरूरी है। छोटी बच्चियों को वो अपने आसपास ही रखें और कुछ कुछ देर में यह ध्यान देते रहे की बच्ची कहां है क्योंकि जादातर बलात्कार जैसी घटना को आस पडोस के लोगों द्वारा ही अंजाम दिया जाता है।

सख्त कानून लाने की मांग महिलाओं को करनी होगी – शुभेच्छा

सिंधी कैंप निवासी शुभेच्छा मंगलानी ने कहा कैंडल मार्च निकाल कर एवं मौन धारण करके जुलुस निकालने से कानून में सख्ती नहीं आएगी, बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले बलात्कारी के लिए सख्त कानून की मांग महिलाओं को सरकार से करनी पडेगी ताकि दुसरे पशु विकृत मानसिकता के लोग ऐसी घटना करने का सोच ही न पायें।

सजा में बदलाव की जरूरत – अंतिमा

धवारी निवासी अंतिमा खरे ने कहा बलात्कार जैसी घटना को अंजाम देने वाले मनुष्य रूपी जानवरों की सजा में बदलाव की जरूरत है। बलात्कारी को जेल की सलाखों के पिछे पहुंचा देने मात्र से ऐसी घटना पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। बलात्कार की ऐसी सख्त सजा होनी चाहिये ताकि ऐसी घटना को अंजाम देने की सोच ही न आए मनुष्य रूपी जानवरों के अंदर।

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