अंतिम संस्कार में जीएसटी लगा कर भ्रष्टाचार की तैयारी में था नगर निगम, विपक्ष के हंगामे के बाद बैकफुट पर आया नगर निगम

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सतना- लोग दुखों का पहाड लेकर मुक्ति धाम पहुंचते हैं ऐसे में नगर निगम प्रशासन द्वारा विद्युत शवदाह का उपयोग करने पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर 2478 रूपये का शुल्क प्रत्येक शव के अंतिम संस्कार पर वसूलने का प्रस्ताव ला कर भ्रटाचार करने की तैयारी में सतना नगर निगम प्रशासन था पर छ: महिने बाद हुई बैठक में विपक्ष के हंगामे के बाद अंतत: शुल्क कम करने पर नगर निगम प्रशासन को मजबूर होना पडा। निर्दलीय पार्षद मीना माधव नें प्रत्येक शव के अंतिम संस्कार पर 500 रूपये शुल्क रखने एवं जीएसटी हटाने का मत रखा किन्तु महापौर द्वारा शासनादेश की बात रखते हुए जीएसटी में कटौती न करते हुए 1888 रूपये की कटौती के साथ 590 रूपये शुल्क वसूलने को मंजूरी देना पडा।नगर निगम प्रशासन द्वारा विद्युत शवदाह के उपयोग पर जीएसटी लगाकर 2478 रूपये का शुल्क लगाए जाने के प्रस्ताव एवं विपक्ष के हंगामे के बाद शुल्क में कमी करने के बाबत एक्शन विचार डाट काम न्यूज टीम की स्थानीय लोगों से रायशुमारी हुई।

फैसला गलत होता अगर प्रस्ताव पास हो जाता – सीमा

संग्राम कॉलोनी निवासी सीमा शर्मा ने कहा अंतिम संस्कार जैसे कर्म कांड में इतना जादा शुल्क वसुलने का प्रस्ताव अगर पास हो जाता तो ये पुर्णत: गलत होता क्योंकि हर किसी के पास समाहित नहीं होती है की वो इतना जादा शुल्क देकर विद्युत शवदाह कर सके।

नगर निगम भ्रष्टाचार में कमी नहीं कर रहा – अरूण

टिकुरिया टोला निवासी अरूण लोधी कहते हैं तत्कालीन नगर निगम प्रशासन भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं कर रहा है, हर कार्य में भ्रष्टाचार करने के बाद लोगों के मरे में भी नगर निगम भ्रष्टाचार करने की तैयारी कर रहा था ऐसे निर्णय लेना ही गलत है।

विपक्ष मजबूत न होता तो फैसला आ ही जाता – अरूणा

सिद्धार्थ नगर निवासी अरूणा तिवारी कहती हैं लोगों के अंतिम संस्कार में इतना शुल्क वसुलने का प्रस्ताव रखने की जरूरत ही क्या थी, अगर विपक्ष मजबूत न होता तो यह प्रस्ताव पास हो ही जाता।

अंतिम संस्कार में जीएसटी की जरूरत क्यों – पिंटू

भरहुत नगर निवासी पिंटू तिवारी कहते हैं सरकार द्वारा अंतिम संस्कार में जीएसटी लगाने की जरूरत ही क्या है? घरेलू चिजों के साथ हर चिज में जीएसटी सरकार को कम पड रही है जो अंतिम संस्कार जैसे कार्य में जीएसटी सरकार द्वारा लगाया जा रहा है। लोग दुख की पीडा लेकर अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं सरकार को उनकी पीडा कम करने का प्रस्ताव लाना चाहिए था न की पीडा और बढाने का।

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