सतना नगर निगम द्वारा सफाई एवं कचरे की ढुलाई पर लाखों रूपये हर महीने खर्च किए जाते हैं। परन्तु नगर की तस्वीर नहीं बदल रही है। वही गंदगी और बदबू के बिच जीवन बसर करना पद रहा है। बरसात के दिनों में तो हाल और गंभीर हो जाता है। बरसात में नाली का पानी रोड पर भर जाता है। यही नहीं दुकानों के अंदर भी पानी घुस जाता है। दूसरी ओर कचडा गाड़ियों की कंडम हालत की तस्वीर यह बयां कर रही है की खर्च सिर्फ कागजों में दर्ज करवाया जा रहा है । सुबह से शाम तक शहर की सडको पर कचडा गाडियों को बिना ढके हुए कचडे को लेकर दौडते हुए देखा जाना आम बात हो गयी है । एक्शन विचार डॉट कॉम टीम ने जब इस मुहिम की शुरुआत लोगों की नाराजगी सामने आयी। नियम केे अनुसार कचडा गाडियों का समय से मेंटीनेंस न हो पाने के वजह से हर कचडा गाडी के ढक्कन टुट चुके हैं एवं टैक्टर जैसे वाहनों में कचडे को तिरपाल से ढकने तक की व्यवस्था नगर निगम द्वारा नही की जा रही है। पूरा कचडा उडकर रोड पर बिखरने के साथ आने जाने वाले लोगों के ऊपर पडता है । नगर निगम के अधिकारियों , कचडा कर्मचारियों एवं कचडा वाहन चालकों द्वारा स्वच्छता अभियान का मजाक बना कर जनता को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है ।
सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट – सुमित यादव
सुमित यादव ने कहा की शहर में जिस तरह खुले वाहनों में कचडा ढुलाई हो रही उससे तो यही पता चलता है की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट है | शहर में बच्चों को स्कुल ले जाते और ले आते समय उनके मुंह को कपड़ों से ढक कर रखना पडता है क्योंकी बगल से कचडा गाडी गुजर जाए तो गंदी बदबू आती है । कचडा भी उडकर रोड पर फैलता है | ऐसे मे शहर स्वच्छता के नाम पर झाडू लगवाना भी बंद कर देना चाहिए निगम को झाडू लगाने से भी क्या मतलब निकल रहा ?
नगर निगम कर्मचारियों द्वारा दिखावे की साफ सफाई की जा रही है – श्रवन विश्वकर्मा
श्रवण विश्वकर्मा ने कहा की नगर निगम कर्मचारियों द्वारा दिखावे की साफ सफाई की जा रही है | अगर सही तरीके से नाली की सफाई हुई होती तो कुछ देर की बरसात में इस तरह नाली का पानी रोड पर नहीं आता और न ही दुकान में घुसता । महीनों नाली की सफाई नहीं की जाती है | नाली की बदबू आने लगती है | हमारी दुकान के पीछे एक सरकारी प्लाट पडा हुआ है | कचडा उठाने वाले कर्मचारी खुद वहां कचडा डाल आते है और कचडा गाडी दस पन्द्रह दिन में अगर आ गयी तो कचडा उठा ले जाती है | तब तक कचडा नाली तक में पडे रहने के वजह से नाली भी चोक हो जाती है ।
आफिस में सीनियर तक बोल देते हैं की कपडे नहीं धुलवाए क्या ? – राजन सिंह परिहार
राजन सिंह परिहार ने कहा की शहर में खुले वाहनों में कचडा उठाने का तरीका पूर्णतः गलत है , खुले वाहनों में कचडा ढोने से कचडा रोड पर गिरता है और बिखरता है | गंदगी ज्यों की त्यों बनी रहती है । खुले वाहन में कचडा ले जाने से सबसे ज्यादा समस्या आफिस जाने वाले लोगों को होती है | कचडा उडकर लोंगो पर पडता है | कपडे गंदे होते हैं |आफिस में सिनियर तक बोल देते हैं की कपडे नहीं धुलवाए क्या । इस तरह खुले तरीके से कचडा ढुलाई करने का तरीका गलत है ।