बिड़ला कालोनी का हाल बहुत बुरा है। यहां कई कई दिनों तक कूड़े की सफाई नहीं होती है। कूड़े पड़े पड़े सड़ने लगते हैं। उनमे से तीक्ष्ण दुर्गन्ध आने लगती है। मच्छरों का भारी प्रकोप हो जाता है। अन्य रोगों के खतरे बहुत बढ़ जाते हैं। गंदगी के कारण हैजा, टाइफाइड, उल्टी, दस्त, कैंसर, पेट में कीड़ें लगना, संक्रमण, मलेरिया, डेंगू, तपेदिक आदि कई तरह की बीमारियाँ फैल सकती है। गंदगी के कारण बहुत सी पेट की बिमारियाँ हो जाती है। लीवर, किडनी आदि की भी समस्याएँ हो जाती है। गंदा पानी लगातार पीने से किडनी के भी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। वार्ड नंबर 13 की बिड़ला कालोनी की ऐसी ही दशा हो चली है। जब एक्शन विचार डॉट कॉम की टीम ने वह के लोगो से वार्ता की तो लोगो का गुस्सा सातवें आसमान पर था। पेश है कुछ अंश
कचडा डालने के लिए डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है
बिड़ला कालोनी निवासी नेहा सिंह परिहार ने कहा की सफाई व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा है। कचडा डालने के लिए डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है, न ही कचडा गाडी समय पर आती है। इससे हम लोगों को कचडा घर के पीछे बने हिस्से में डालना पडता है। वहां की सफाई भी महीनों नहीं होती है जिससे बदबू आने लगती है। मच्छरों का प्रकोप भी बढ जाता है। ऐसी गंदगी में जीना मुश्किल होता जा रहा है ।
एक एक हफ्ते सफाई नहीं होती है
बिड़ला कालोनी निवासी राजकुमार जायसवाल ने कहा की एक एक हफ्ते में सफाई न होने के कारण हम लोगों को बदबू का सामना करना पड़ता है। गंदगी होने के वजह से मच्छर बढते हैं जिससे बीमारी होने का खतरा बढ जाता है। घरों के बाहर बैठना मुश्किल हो जाता है । कोई सुनने वाला नहीं है। स्वच्छता अभियान का मखौल बना हुआ है। इस तरह से गन्दगी में जीवन बसर करना पड़ रहा है की बता पाना बहुत मुश्किल है।
टाइम से कचडा नहीं उठाने के वजह से कचडा रोड पर फैलता है
बिड़ला कालोनी निवासी अभिषेक सिंह ने कहा की हम लोंग बिडला कॉलोनी में बने क्वार्टर में रहते हैं। कॉलोनी का यह हिस्सा नगर निगम एरीया में आता है। सफाई के नाम पर झाडू बस रोडों पर लगाकर कचडा रोड के साइड में छोड दिया जाता है। किन्तु कचडा गाडी वालों द्वारा टाइम से कचडा नहीं उठाने के वजह से कचडा रोड पर फैलता है। हमलोगों के घरो में आता है ।
कचडो के ढेर से मच्छर मक्खी पनपते हैं
सतना निवासी मान सिंह मोनू ने कहा की शहर के हर वार्डों की स्थिती लगभग एक जैसी रहती है। सामने का रोड का कचडा तो उठा लिया जाता है पर कचडों को मोहल्ले में ही खाली जगह देखकर डाल दिया जाता है। जो हफ्तों वैसे का वैसा पडा रहता है। बरसात के सीजन में स्थिती और बेकार हो जाती है। कचडो के ढेर से मच्छर मक्खी पनपते हैं और बीमारी का घर बनते हैं ।