बिल्डर गलत तरीके से फ्लैट खरीददारों से बंधा शुल्क वसूलने का प्रयास कर रहा है। जिसके लिए बिल्डरों की तरफ से फ्लैट खरीदारों को नोटिस भेजा जा रहा है। फ्लैट खरीदारों का कहना है की रजिस्ट्री के समय हमसे सभी प्रकार का शुल्क ले लिया गया था। परन्तु उसे अदा नहीं किया गया। अब ज़ब लखनऊ विकास प्राधिकरण दबाव बना रहा है तो पुनः बिल्डर यह शुल्क दुबारा से वसूलना चाह रहे हैँ। यह अन्याय सहन नहीं किया जा सकता है। ओमेक्स सिटी मे वसूली के खिलाफ बहुत रोष है। फ्लैट मूल्य निर्धारित करते समय सभी प्रकार के शुल्क जोड़ लिया गया था जिसका पेमेंट हम कर चुके हैं अब हमारी कोई देनदारी नहीं बचती है।
फ्लैट मालिकों की इस समस्या को एक्शन विचार डॉट काम ने गंभीरता से उठाया है। एक्शन विचार डॉट काम के सम्पादक राजेश श्रीवास्तव ने कहा है की हम इस लड़ाई मे सच के साथ खड़े हैँ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा वसूले जा रहे ‘बंधा’ शुल्क के खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। एलडीए ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि ‘बंधा’ शुल्क समझौते का हिस्सा है और बिल्डरों को लाइसेंस देने के लिए एक पूर्व शर्त है। आगे यह तर्क दिया गया कि यहां तक कि डेवलपर्स को स्वीकृत लेआउट में भी, एकीकृत टाउनशिप नीति 2014 के आधार पर स्वीकृति पत्र में ‘बंधा’ शुल्क को एक शर्त के रूप में विशेष रूप से उल्लेख किया गया था। ज़ब यह पूर्व समझौता है। फ्लैट खरीदारों से जो फ्लैट की रजिस्ट्री बिल्डिंरों की समस्त शर्तों को पूर्ण करते हुए पूर्व मे करवा चुके हैँ तो अब क्यों इसकी वसूली की जा रही है। फ्लैट खरीदार रजिस्ट्री के दौरान सभी तरह के विकास शुल्क चुकता कर चुके हैँ। ऐसे मे उनसे अतिरिक्त वसूली करना उनके मानवाधिकारों का हनन है। और बिल्डिंरों की दादागिरी है। इसके खिलाफ हाउसिंग डेवलपमेन्ट मंत्रालय मे शिकायत की गयी है। यह लड़ाई संविधानिक तौर पर लगातार जारी रहेगी। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए उचित कार्यवाही के लिए विभाग के डेप्युटी डायरेक्टर ( डीडीई रेंट ) संजय कुमार गुप्ता को उचित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है।