मेडिकल प्रतिनिधियों के खिलाफ फार्मा कम्पिनियों के द्वारा हो रहे शोषण पर एक्शन विचार डॉट काम की तरफ से एक कदम और आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग मे शिकायत की है। बताते चले की इसके पूर्व मे पीएम पोर्टल पर इस शोषण के खिलाफ आवाज उठाई गयी थी।
एक्शन विचार साप्ताहिक समाचार पत्र के सम्पादक राजेश श्रीवास्तव ने कहा है की यह लड़ाई हम लगातार जारी रखेंगे। यह युवाओं की बहुत बड़ी समस्या है। एम आर स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। मेडिकल प्रतिनिधि स्वास्थ्य सेवा आउटरीच को बढ़ावा देते हैं। ऐसा पाया गया की मेडिकल प्रतिनिधि समाज फर्मास्युटिकल कारपोरेट सेक्टर के इशारे पर नाचने वाला मोहरा बन कर रह गया है। इसी मोहरे के माध्यम से फार्मा कंपनियां अरबों रूपये का कारोबार करती हैं। उन्होंने आगे कहा है की एक एमआर बनने के लिए व्यक्ति के अंदर बहुत सारी योग्यताएं जैसे संचार कौशल, समय प्रबंधन कौशल,संबंध निर्माण कौशल , अनुकूलनशीलता एवं कम्प्यूटर कौशल आदि होना अत्यंत आवश्यक होता है। एक सफल एमआर होने के लिए फार्मा उत्पादों को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने और बेचने के लिए तकनीकी ज्ञान, बिक्री कौशल और पारस्परिक कौशल के संयोजन की आवश्यकता होती है। कोई भी मौसम हो कोई भी आपदा हो उन्हें काम करना ही है। उन्होंने आगे कहा की इतनी कुशलताओं के बाद भी एमआर की ऐसी दुर्दशा समाज के लिए बहुत कष्टदायक है। कई बार यह बात भी सत्य साबित होती दिखती है की इस रोजगार से बेहतर बेरोजगार होना है। कई स्थितियों में एमआर को अपनी नौकरी और साख बचाने के लिए अपने घर से पैसे लगाने पड़ते हैं, ऋण लेना पड़ता है। ऐसे सैकड़ों कारण हैं जो स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने वाले स्तम्भ को खुद के स्वास्थ्य की बलि चढ़ते हुए देखना पड़ता है । कंपनियों द्वारा आयोजित मीटिंग्स में बहुत इनलोगों की मानवीय गरिमा को तारतार कर दिया जाता है। एमआर के परिवारीजनों का स्वास्थ्य , मनोदशा लिख पाना बहुत मुश्किल है। सुगर , ब्लूडप्रेशर , डिप्रेशन और अन्य रोग उन्हें फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा दिए गए उपहार हैं। देश में युवाओं का ऐसा शोषण अत्यंत चिंताजनक है। जिस और सरकार को ध्यान देना ही चाहिए। हम लगातार इस दिशा मे कदम बढ़ाते रहेंगे।