मन की तैयारी के हिसाब से ही साधना करनी चाहिए – सेविका कुहू

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मन की तैयारी के हिसाब से ही साधना करनी चाहिए – सेविका कुहू


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सनातन संस्था की साप्ताहिक ऑनलाइन साधना सत्संग को सम्बोधित करते हुए सनातन संस्था की सेविका कुहू ने कहा की जो सम्भव न हो उसे नहीं करना चाहिए।  मन की तैयारी के हिसाब से ही साधना करनी चाहिए। उन्होंने कहा की व्यवहारिक जीवन में रहते हुए हमारी साधना हो सके यही प्रयत्न करना चाहिए। साधना करते करते आध्यात्मकि स्तर बढ़ जाता है तो ईश्वर की इच्छा के अनुसार व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति हो जाती है। संस्था की सेविका कुहू रविवार को जाल माध्यम पर आयोजित  धर्म शिक्षण सत्संग को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने उपस्थित साधकों से कहा की संसार में जितने भी व्यक्ति हैं उतने साधना मार्ग हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता और रूचि के अनुसार साधना कर सकते हैं। ईश्वर हमारा मन चाहता है। हम भाव से  ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है। 

हर युग में अलग अलग साधना पद्धति

 कुहू ने बताया की हर युग में अलग अलग साधना पद्धति रही है। उन्होंने बताया की सत्ययुग में ज्ञानयोग , त्रेतायुग में ध्यानयोग , द्वापरयुग में यज्ञ योग तथा कलयुग में भक्तियोग साधना पद्धति श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा की श्री कृष्ण ने गीता में कहा है की कलयुग में नामजप ही सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने नामजप सबसे सरल और सहज मार्ग है।  प्रत्येक व्यक्ति को नामजप कर अपनी आध्यत्मिक उन्नति करनी चाहिए। यही मानव जीवन का उद्देश्य है। अभी जो काल चल रहा है वो धर्म संस्थापना का कार्य चल रहा है। ऐसे में नामजप के साथ साथ सत्सेवा कर प्रत्येक व्यक्ति अपने मानव जीवन को सार्थक स्वरूप दे सकता है। कार्यक्रम के अंत में संस्था की सेविका सीमा ने चंदन के महत्व पर प्रकाश डाला। 

  

आध्यात्मिक स्तर का प्रतिशत

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