प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के बदलते प्रभावों और नष्ट होती जैवविविधता से रक्षा करने का निवेदन – संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश

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प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के बदलते प्रभावों और नष्ट होती जैवविविधता से रक्षा करने का निवेदन – संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश


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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पारिस्थितिकी तंत्रों के प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों और नष्ट होती जैवविविधता से रक्षा करने का निवेदन किया है। उन्होंने बुधवार 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश में कहा कि क्षरण का शिकार भूमि और पारिस्थितिकी तंत्रों को बहाल करने के लिए सभी देशों को अपने वादों को साकार करना होगा।

    यूएन प्रमुख ने कहा कि प्रदूषण तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण उठापठक है। जैवविविधता तबाह हो रही है। यह हर कोई देख सकता है। स्वस्थ, उर्वर भूमि रेगिस्तानों में तब्दील हो रही है। फलते-फूलते पारिस्थितिकी तंत्र मृतप्राय क्षेत्र बन रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बढ़ रहा है। इसका अर्थ है फ़सलों का बर्बाद होना, जल स्रोतों का ग़ायब होना, अर्थव्यवस्थाओं का कमज़ोर होना और समुदायों पर ख़तरा मंडराना। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक निर्धनों पर इसका असर होने की आशंका सबसे अधिक होती है । अब यह समय इस चक्र से बाहर निकलने का है। हम पुनर्बहाली करने वाली पीढ़ी हैं। एक साथ मिलकर, आइए हम भूमि व मानवता के लिए एक सतत भविष्य का निर्माण करें। विश्व पर्यावरण दिवस, 1973 के बाद से हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। यह पर्यावरणीय जागरूकता के प्रसार के इरादे से एक अहम वैश्विक मंच बन गया है। इस वर्ष के आयोजनों में भूमि को बहाल करने मरुस्थलीकरण से निपटने और सूखे के प्रति सहनसक्षमता निर्माण पर बल दिया जाएगा। 

    यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक इन्गेर ऐंडरसन हर किसी से पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी वादों को वास्तविकता के धरातल पर लागू करने का आहवान किया है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्रों की बहाली के ज़रिये, पृथ्वी पर मंडराते तिहरे संकटों की रफ़्तार को धीमा किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन, प्रकृति व जैवविविधता हानि का संकट, प्रदूषण व कचरा। इसके समानान्तर, वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने के लिए वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के अनुरूप क़दम उठाए जाने होंगे। जिसके तहत कार्बन उत्सर्जन में कटौती, उसके भंडारण को बढ़ाना, और सतत विकास लक्ष्यों के तहत निर्धनता व भूख में कमी लाना है।

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