गर्मी के दिनों में बच्चो और युवाओं को लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है – डॉक्टर प्रवीण राजपाल

Action Vichar Interview

गर्मी के दिनों में बच्चो और युवाओं को लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है – डॉक्टर प्रवीण राजपाल


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उत्तर भारत में इस वक्त जानलेवा गर्मी और लू का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है । ये प्रचंड गर्मी सेहत को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रही है, इस मौसम में लोग ज्यादा बीमार पड़ते है। ऐसे में छोटे बच्चों की सेहत का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। इस बावत एक्शन विचार सतना (मध्य प्रदेश) की टीम ने सावन अस्थाना के नेतृत्व में डॉक्टर प्रवीण राजपाल बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ से विशेष वार्ता की। पेश हैं उस वार्ता के कुछ खाश अंश –

डॉ राजपाल ने बताया की गर्मी के दिनों में बच्चो और युवाओं को लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। इन दिनों में बुखार आना, मुँह ज्यादा सूखना , शरीर में झटके होना और सर में दर्द बने रहने जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में शरीर को ठंढे पानी से पोछते रहना चाहिए। सीने को लगातार ठन्डे पानी के कपडे से पूछना विशेष फायदेमंद है। ज्यादा से ज्यादा समय ठंढे स्थानों पर रहने की कोशिश करनी चाहिए। लम्बे समय तक समस्या बनी रहे तो चिकित्स्क की सलाह लेनी चाहिए। डॉ राजपाल ने आगे कहा की इन दिनों गर्मी की छुट्टिया चल रही हैं। ऐसे में बच्चो का खाश ख्याल रखना चाहिए की वे इस धूप में न खेले। अगर खेलने जाते भी है तो पर्याप्त मात्रा में पानी और पौष्टिक शीतल पेय पदार्थ लेकर ही जाए। ऐसे मौसम में दही ,छाछ , फलों का रस ,खरबूजा , कलिन्दरा आदि का सेवन करने से शरीर का टेम्प्रेचर सामान्य बना रहता है। डॉ राजपाल ने आगे कहा की गर्मी के दिनों में भी जो बच्चे तैयारी आदि के लिए घर से बहार निकल रहे हैं उन्हें अपने सर को गमछे आदि से ढक कर निकलना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पानी और फलों का रस पीना चाहिए। कोल्ड्रिंक से बचना चाहिए उसकी जगह गन्ने का रस अदि फलो का रस ज्यादा प्रभावकारी है।

दुधमुहे छोटे बच्चो का खाश ख्याल रखने की आवश्यकता है। उन्हें धूप से बिलकुल बचाना है। ऐसे कमरे में उन्हें रहने की व्यवस्था हो जो ठंढा हो। ऐसी और कूलर लगे हों। यह भी ध्यान रखना चाहिए की बच्चो के सर पर सीधे ऐसी या कूलर की हवा न लगने पाए। दुधमुहे बच्चो को हर दो घंटे पर दूध पिलाते रहना चाहिए। वैसे तो 6 महीने तक के बच्चे को पानी नहीं पिलाना चाहिए लेकिन यदि बच्चा पेशाब करने में पांच घंटे से ज्यादा समय ले रहा है तो उसे कटोरी या चिम्मच से थोड़ा थोड़ा पानी पिलाते रहे , ध्यान रखें उसे रात को पानी न दें।

डॉक्टर प्रवीण राजपाल, बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ

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